बी. के. एस. अयेंगर
बेलुर कृष्णामाचार सुन्दर राजा (B.K.S. Iyengar) (1918-2014) विश्व विख्यात योग शिक्षक, जो कि अपनी योग शैली ‘अयेंगर योगा’ के लिए जाने जाते थे ।
शुरआत के दिनों में केवल उन्होंने शारीरिक स्वास्थ्य के लिये योग अभ्यास किया । लेकिन उन्होंने महसूस किया कि शारीरिक स्वास्थ्य के परे भी योग के कुछ रहस्य हैं । इसीलिए उन्होंने योगासन का और गहराई से अभ्यास किया l उन्होने एक बार कहा योग अभ्यास से वो एक ऐसे स्तर पर पहुँचे हैं, जहाँ उनके शरीर की हर एक कोशिका एक नये सिरे से जाग उठी है । वो अपने शरीर एवं मन को ऐसी स्थिति में लाना चाहते थे, जहाँ उनकी चेतना उनके सिर से पाँव तक बहती रहें, ताकि उसके शरीर में किसी भी प्रकार का विचलन, अपवर्तन तथा संकुचन न रहे ।
योग गुरु आयेंगरजी ने पुणे शहर में विभिन्न त्योहारों पर योग का प्रदर्शन देते हुए लोगों को यह संदेश दिया था कि योग सबके लिये है । उनकी मध्यम आयु में सब लोग उनके पास अपनी बीमारी लेकर आते थे, वे उनके रोगों का निर्णय उसकी त्वचा और आँखे देख कर करते थे l उसके पश्चात उन्होंने कई बीमारियों में योग के लाभों का अनवेशन किया । उन्होंने अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद में ‘रमायनी आयेंगर मैमोरिल योगा इन्स्टीटियूट' की स्थापना की, इसिलिये पुणे शहर को आयेंगर योगा का जन्म स्थान माना जाता है । योग की व्याख्या करते हुऐ, गुरु आयेंगर हमेशा शरीर और मन की तुलना सुई और धागे से करते थे । वो कहते थे कि अगर सुई चेतना है, तो सुई की आँख बुधिमत्ता है और इसमें से निकलने वाला धागा हमारा कल है l जब मन, बुद्धिमत्ता से गुजरता है तब चेतना पुरे शरीर में फ़ैल जाती है l और यह केवल तब ही संभव है, जब हम आसनों के अभ्यास पर महारत हासिल करते हैं l
वह हास्यवृति का स्वभाव रखते थे, उनके शिष्य समझते थे कि, उनके नाम के अद्याक्षर बी. के. एस, (BEAT), (KICK) & (SLAP) का प्रतिकत्व करते हैं l